मुझे कुछ कहना है: अन्ना और बाबा रामदेव
आज बाबा रामदेव के साथ करोड़ों लोग हैं। इसका कारण यह है कि लोगों के दिल में भ्रष्टाचार दूर करने की चाहत है, लेकिन लोगों के पास हिम्मत और समय नहीं है। लेकिन बाबा रामदेव लोगों की आवाज बन गए हैं। एक ऐसी आशा की किरण लेकर आए हैं कि लोगों को अपने साथ जुड़ने पर मजबूर कर दिया है। आज बाबा के साथ किरण बेदी, अन्ना हजारे और जेठमलानी जैसी हस्तियां जुड़ती नजर आ रही हैं।
अब अगर बाबा कह रहे हैं कि काला धन वापस लाओ तो इसमें गलत क्या है? बड़ी मात्रा में विदेशों में जमा धन वापस लाया जाए, तो इसमें तो देश की भलाई ही है। हमारा काफी पैसा विदेशी बैंकों में जमा है और यहां देशवासी टैक्स के बोझ से दबे जा रहे हैं। यदि यह धन वापस लाया गया तो आने वाले 30 वर्षों तक लोगों को टैक्स से मुक्ति मिल सकती है।
आप ही सोचिए देश की आर्थिक व्यवस्था पर कितना प्रभाव पड़ेगा और हालात कितने सुधर जाएंगे।
कुछ लोग कह रहे हैं कि बाबा तो सन्यासी हैं फिर देशभक्ति क्यों कर रहे हैं ? कुछ का सोचना है कि बेईमानों को चैन से जीने नहीं दे रहे हैं ? आप बताइए, देश के बारे में सोचना किसी की बपौती है क्या? यह अधिकार तो देश के हर नागरिक को है कि वो देश का हित देखे। देश के नाम पर वे लोग कलंक हैं जो सिर्फ अपने परिवार से आगे नहीं सोचते। जिनकी विचारधारा संकुचित है।
कोई इस ओर ध्यान नहीं देता कि आखिर ये पैसा विदेशों में जाता कैसे है, जबकि यहां का एक पैसा भी अगर विदेशी बैंकों में ट्रान्सफर करना होता है तो पहचान बतानी होती है। यहां से यह पैसा कैश जाता है या किसी के जरिए से जाता है। क्या कस्टम के अधिकारी सोये रहते हैं या फिर बड़ी-बड़ी हस्तियों से मिले हुए हैं?
विदेशी बैंकों में जमा पैसा वापस आना ही चाहिए। इस मुहिम में हम बाबा के पक्ष में हैं। हां, कुछ लोग हैं, जो भ्रष्ट हैं वे इसका विरोध कर रहे हैं। कोई भी जन आंदोलन चाहे बाबा का हो या अन्ना का नारों के बीच सिमट कर रह जाता है। उसमें गंभीर बदलाव की सोच नहीं दिखाई देती इसलिए घोषणाएं ही सफलता मान ली जाती हैं। भले ही वह प्रत्यक्ष रूप से परिणाम के रूप में प्रकट नहीं होतीं। ऐसे में देश में जो भ्रष्टाचार पनपा है वह समाज में चेतना और आत्मविश्वास की कमी का परिणाम है।
अन्ना हजारे के आंदोलन से प्रभावित होकर बहुत सारे जनआंदोलन होंगे। कई नए चेहरे आएंगे। अन्ना हजारे की मांगे मान लेने को विजय मान लेना सतही बौद्धिक चिंत्तन का प्रमाण है। पर, उनके साथ जो गंभीर चिंतक हैं वह खामोशी से सब देख रहे हैं। जो हाथ हिलाकर-हिलाकर नाच रहे हैं उन्हें यह शायद अंदाजा नहीं है कि आगे अभी और लड़ाई है। अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के साथ देश के जागरुक लोग जुड़े हैं। वह उन्हीं की राय को अंतिम मानेंगे। ऐसे में उनकी राय देखकर ही आगे चलें यही अच्छा रहेगा।
अब अगर बाबा कह रहे हैं कि काला धन वापस लाओ तो इसमें गलत क्या है? बड़ी मात्रा में विदेशों में जमा धन वापस लाया जाए, तो इसमें तो देश की भलाई ही है। हमारा काफी पैसा विदेशी बैंकों में जमा है और यहां देशवासी टैक्स के बोझ से दबे जा रहे हैं। यदि यह धन वापस लाया गया तो आने वाले 30 वर्षों तक लोगों को टैक्स से मुक्ति मिल सकती है।
आप ही सोचिए देश की आर्थिक व्यवस्था पर कितना प्रभाव पड़ेगा और हालात कितने सुधर जाएंगे।
कुछ लोग कह रहे हैं कि बाबा तो सन्यासी हैं फिर देशभक्ति क्यों कर रहे हैं ? कुछ का सोचना है कि बेईमानों को चैन से जीने नहीं दे रहे हैं ? आप बताइए, देश के बारे में सोचना किसी की बपौती है क्या? यह अधिकार तो देश के हर नागरिक को है कि वो देश का हित देखे। देश के नाम पर वे लोग कलंक हैं जो सिर्फ अपने परिवार से आगे नहीं सोचते। जिनकी विचारधारा संकुचित है।
कोई इस ओर ध्यान नहीं देता कि आखिर ये पैसा विदेशों में जाता कैसे है, जबकि यहां का एक पैसा भी अगर विदेशी बैंकों में ट्रान्सफर करना होता है तो पहचान बतानी होती है। यहां से यह पैसा कैश जाता है या किसी के जरिए से जाता है। क्या कस्टम के अधिकारी सोये रहते हैं या फिर बड़ी-बड़ी हस्तियों से मिले हुए हैं?
विदेशी बैंकों में जमा पैसा वापस आना ही चाहिए। इस मुहिम में हम बाबा के पक्ष में हैं। हां, कुछ लोग हैं, जो भ्रष्ट हैं वे इसका विरोध कर रहे हैं। कोई भी जन आंदोलन चाहे बाबा का हो या अन्ना का नारों के बीच सिमट कर रह जाता है। उसमें गंभीर बदलाव की सोच नहीं दिखाई देती इसलिए घोषणाएं ही सफलता मान ली जाती हैं। भले ही वह प्रत्यक्ष रूप से परिणाम के रूप में प्रकट नहीं होतीं। ऐसे में देश में जो भ्रष्टाचार पनपा है वह समाज में चेतना और आत्मविश्वास की कमी का परिणाम है।
अन्ना हजारे के आंदोलन से प्रभावित होकर बहुत सारे जनआंदोलन होंगे। कई नए चेहरे आएंगे। अन्ना हजारे की मांगे मान लेने को विजय मान लेना सतही बौद्धिक चिंत्तन का प्रमाण है। पर, उनके साथ जो गंभीर चिंतक हैं वह खामोशी से सब देख रहे हैं। जो हाथ हिलाकर-हिलाकर नाच रहे हैं उन्हें यह शायद अंदाजा नहीं है कि आगे अभी और लड़ाई है। अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के साथ देश के जागरुक लोग जुड़े हैं। वह उन्हीं की राय को अंतिम मानेंगे। ऐसे में उनकी राय देखकर ही आगे चलें यही अच्छा रहेगा।
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