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SECRETS OF TRADING IN SHARE MARKET

SECRETS OF TRADING IN SHARE MARKET

मुझे कुछ कहना है- सचिन को क्यों मिले भारत रत्न?

क्या सचिन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए? एक बहुत बड़ा प्रश्न है कि अगर पॉलिटिकल लीडर्स को भारत रत्न दिया जा सकता है तो सचिन को क्यों नहीं? आज से पहले जिनको भी भारत रत्न मिला है उन्होंने देश का नाम किया है इसलिए उन्हें यह पुरस्कार मिला। कुछ लोग कहते हैं कि सचिन को भारत रत्न दिया जाना चाहिए, तो कुछ कहते हैं कि सचिन ने पैसा कमाया है, सचिन ने इंडिया के लिए क्या किया है? वैसे अगर देखा जाए तो लता मंगेशकर को भी भारत रत्न मिला तो क्या उन्होंने पैसा नहीं कमाया! सवाल पैसे कमाने का नहीं है। देश के लिए जिसने भी महान कार्य किया या देश का नाम किया, उसे भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वैसे तो भारत रत्न की क्राइटेरिया में खेलों का नाम नहीं है फिर भी अगर बात भारत रत्न देने की हो तो सचिन से पहले भी कई नाम हैं जैसे, ध्यानचंद, विश्वनाथन आनंद, अजीतपाल सिंह, पीटी ऊषा, मिल्खा सिंह, लिएंडर पेस, महेश भूपति, कपिल देव, सुनील गावस्कर आदि। यदि हम पहला भारत रत्न सचिन को देते हैं तो उन खिलाड़ियों के साथ क्या अन्याय नहीं होगा, जो सचिन से पहले काफी अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं। भारत रत्न सचिन को मिले या ना मि

मुझे कुछ कहना है: अन्ना और बाबा रामदेव

आज बाबा रामदेव के साथ करोड़ों लोग हैं। इसका कारण यह है कि लोगों के दिल में भ्रष्टाचार दूर करने की चाहत है, लेकिन लोगों के पास हिम्मत और समय नहीं है। लेकिन बाबा रामदेव लोगों की आवाज बन गए हैं। एक ऐसी आशा की किरण लेकर आए हैं कि लोगों को अपने साथ जुड़ने पर मजबूर कर दिया है। आज बाबा के साथ किरण बेदी, अन्ना हजारे और जेठमलानी जैसी हस्तियां जुड़ती नजर आ रही हैं। अब अगर बाबा कह रहे हैं कि काला धन वापस लाओ तो इसमें गलत क्या है? बड़ी मात्रा में विदेशों में जमा धन वापस लाया जाए, तो इसमें तो देश की भलाई ही है। हमारा काफी पैसा विदेशी बैंकों में जमा है और यहां देशवासी टैक्स के बोझ से दबे जा रहे हैं। यदि यह धन वापस लाया गया तो आने वाले 30 वर्षों तक लोगों को टैक्स से मुक्ति मिल सकती है। आप ही सोचिए देश की आर्थिक व्यवस्था पर कितना प्रभाव पड़ेगा और हालात कितने सुधर जाएंगे। कुछ लोग कह रहे हैं कि बाबा तो सन्यासी हैं फिर देशभक्ति क्यों कर रहे हैं ? कुछ का सोचना है कि बेईमानों को चैन से जीने नहीं दे रहे हैं ? आप बताइए, देश के बारे में सोचना किसी की बपौती है क्या? यह अधिकार तो देश के हर नागरिक को है कि वो दे

मुझे कुछ कहना है: अन्ना हजारे क्या करेंगे अब?

आज भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसा माहौल है जैसा सन बयालीस में हुआ करता था. खुशी इस बात की है कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्रीय जनमत तैयार हो रहा है और जनता किसी भी भरोसेमंद सूचना पर भरोसा करने को तैयार है. वह किसी भी भ्रष्ट नेता, अफसर या पत्रकार को माफ़ करने को तैयार नहीं है. राजनीतिक नेताओं को अभी भनक तक नहीं है. वे अभी इसी मुगालते में हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन का नेतृत्व किसी पार्टी के हाथ आ जाएगा. पूरी संभावना है कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है. अन्ना हजारे के आन्दोलन को जनता ने पूरी तरह नेताओं से मुक्त रखा. आने वाले वक़्त में भी ऐसा ही होने वाला है क्योंकि पूरे देश के जागरुक वर्ग में यह अवधारणा घर कर चुकी है कि सारे भ्रष्टाचार की जड़ राजनीतिक नेता ही हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने के लिए अन्ना हजारे शुक्रवार को उत्तर प्रदेश आने वाले हैं। वाराणसी जिला प्रशासन ने उनके कार्यक्रम को अब तक मंजूरी नहीं दी है। उत्तर प्रदेश में धरना, प्रदर्शन, जुलूस और आंदोलन को लेकर राज्य सरकार सख्त हो गयी है, सुल्तानपुर जिला प्रशासन ने भी आगामी शनिवार को यहां होने वाली उनकी जनसभा को अनुमति नहीं दी

हम क्यों नहीं मारते पकड़े गए आतंकियों को?

अमेरिका के लिए जश्न का दिन था, उसेब ओसामा को मार गिराया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति का कहना था कि ओसामा को पाताल से भी ढूंढ निकालेंगे। ओसामा का इस तरह से मारा जाना भारत की चिंता का विषय बन गया है। अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ जंग अब समाप्त हो गई है। दूसरी तरह से देखें तो अमेरिका का पाकिस्तान पर जो भी दबाव था वह अब समाप्त हो चुका है। ऐसे में अब हिंदुस्तान को जागना ही होगा। दूर इराक में सद्दाम, ओसामा जैसे लोग को मौत देने के बाद हिंदुस्तान में जश्न मनाया जाता है। पर हम अपने यहां पकड़े गए आतंकियों को जेल में बंद करते हैं, उन्हें मौत की सजा नहीं देते, आखिर क्यों ?

मुझे कुछ कहना है: घोटाले पर सत्याग्रह

योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा है कि वह 4 जून से दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह करेंगे और उनका सत्याग्रह आंदोलन तब तक तक जारी रहेगा, जब तक सरकार उनकी शर्तों को न मान ले। बाबा ने 400 करोड़ रुपये वापस लाने की मांग की है। उनका कहना है कि भारत का 400 करोड़ धन विदेशी बैंको में जमा है। भारत की 1 करोड़ जनता उनके समर्थन में है, उनमें हिन्दू, मुस्लिम, एनआरआई और अन्य वर्ग भी शामिल हैं। उनका उदेश्य स्वदेशी से स्वावलंबी भारत का निर्माण करना है। आज़ादी के 62 वर्षों के बाद भी हम भारतवासी विदेशी भाषा, विदेशी भूषा, विदेशी भोजन, विदेशी भाव, विदेशी दवाएं और विदेशी वस्तुओं का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। इसके कारण देश का लाखों करोड़ों रूपया भारत से बाहर जा रहा है। पूरे देश में स्वदेशी का आग्रह भारतीय नागरिकों में पैदा हो इसके लिए आंदोलन करने की जरूरत है। अपने आत्म सम्मान को स्वदेशी के द्वारा ही पुनः जीवित किया जा सकता है। अंग्रेजों के आने के पहले भारत के सभी गांव पूर्णरूप से स्वावलंबी थे। अंग्रेजों ने कई कानून बनाकर भारत की ग्रामीण कृषि व्यवस्था, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, ग्रामीण कारीगरी आदि को खत्म कर दिय

मुझे कुछ कहना है: हमारे देश की व्यवस्था

भ्रष्टाचार की चर्चा तो पहले भी होती रही है, भ्रष्टाचार और भारतीय राज्य व्यवस्था का रिश्ता चोली-दामन की तरह कुछ इस तरह गाढ़ा है कि मर्ज बढ़ता ही गया। अब तो यह एक महामारी की तरह फ़ैल गया है। पूरे समाज को नष्ट करने पर आमदा है, जब यह बीमारी इतनी अधिक बढ़ गई तो इसके खिलाफ आवाज उठनी तो स्वाभाविक ही है। हम आज देखें तो देश की क्या हालत है? घोटालों, भ्रष्टाचार तथा आतंक के साए में आम लोग जी रहे हैं। हम शायद यह मान कर चलते हैं कि भ्रष्ट व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही करने से भ्रष्टाचार ख़त्म हो जाएगा, जबकि जरूरत उस पूरी प्रक्रिया को समझने की है, जिससे भ्रष्ट व्यक्ति पैदा होते हैं और ताकत हासिल करते हैं। यह प्रक्रिया क्या है? इसका हमारी राजनितिक प्रशासनिक शैली से क्या संबंध है? विकास और विषमता के सवाल इस संदर्भ में क्यों प्रासंगिक हैं? भ्रष्टाचार की चुनौती को समग्र रूप से समझने का एक व्यवस्थित सामूहिक प्रयास, जो देश की अन्य समस्याओं को समझने में भी सहायक हो सकता है, हमें इस प्रयास को बढ़ावा देना होगा। ऐसा नहीं है कि इस देश में ईमानदार राज्य कर्मी या अधिकारी नहीं हैं, पर कुछ लोगों ने अपना वर्चस्व इस

मुझे कुछ कहना है- किनके लिए अमृत है भ्रष्टाचार?

भ्रष्टाचार का सब जगह बोलबाला है , सभी जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है , कितने अभियान चलाए जा रहे हैं। आप बताएं भ्रष्टाचार क्या होता है ? क्या आपने किसी भ्रष्ट आदमी को देखा है ? हमने किसी से पूछा कि भ्रष्टाचार आखिर है क्या ? तो उसने कहा- भ्रष्टाचार तो अमृत है जिसे हर देश का हर वासी चखता है। खुद को और अपनी सात पीढ़ियों को हट्टा-कट्टा देखना चाहता है। इस अमृत को जो पिए उसकी सात पुश्तें तर जाती हैं और जो ना पिए वह पछताता है। भारत में भ्रष्टाचार संस्कृति और शिष्टाचार बन गया है। बच्चा जन्म लेता है, वह भी भ्रष्टाचार की बदौलत। यदि मां-बाप डॉक्टर और नर्स को रिश्वत न दें तो बच्चे की देखभाल ठीक से नहीं की जाती। प्रभावी कानून कहां है ! इसे क्यों नहीं तैयार किया जा रहा है... इस देश को नेताओं ने बर्बाद कर दिया है। ये वही नेता हैं जो जन लोकपाल बिल को पास नहीं होने देना चाहते। इसलिए, बाल की खाल निकाल कर मामले को अटकाना चाहते हैं। इन नेताओं को डर है कि यदि जन लोकपाल बिल पास हो गया तो फिर उन पर शामत आ जाएगी। इसलिए, अभी वक्त है जो बिल तैयार करने में शामिल है उसकी कमजोरी को पकड़ो और फिर मामले में बाधा डालो। सवाल

मुझे कुछ कहना है- आन्दोलन पर अत्याचार

रामलीला मैदान में निहत्थे लोगों पर पड़ी लाठी, भ्रष्ट सरकार के ताबूत की आखिरी कील साबित हो सकती है। लोगो में सरकार के खिलाफ एकता नज़र आ रही है। बाबा रामदेव का भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन और सरकार की ओर से किया गया इसका दमन बीजेपी बनाम कांग्रेस की लड़ाई बन गई है। स्वामी रामदेव के आन्दोलन से एक बहुत महत्पूर्ण बात तो सामने आई है कि इससे देश के नागरिक के अंदर चेतना और कर्म शक्ति का निर्माण अवश्य होना चाहिए. बाबा के इस अभियान से प्रत्यक्ष रूप से हम लाभान्वित ना भी हो परन्तु हम इसकी प्रशंसा करेंगें. मूल बात यह है कि जब हम पूरे समाज के हित की बात सोचते हैं तो हमारी न केवल शक्ति बढ़ती है बल्कि स्वयं अपना हित भी होता है। केवल अपने बारे में ही सोचते रहने से शक्ति और चिंतन दोनों सिमट कर रह जाते हैं. व्यक्ति का रहन- सहन इतना अधिक सीमित हो गया है आज के युग में कि अपने अलावा किसी के बारे में सोचने की शक्ति सिमट कर रह गयी है. ऐसे में योग साधना ही एकमात्र उपाय है जिससे कोई भी मनुष्य अपना सामान्य स्तर पाता है. देश का कोई मामूली योग साधक भी यह जानता है कि बचपन से योग साधना में रत रामकृष्ण यादव अब स्वामी
कमजोर प्रधानमन्त्री के हाथ में देश का भविष्य कांग्रेस भले ही अपने प्रधानमंत्री कि पीठ ठोकती नजर आये लेकिन जन मानस का क्या ,वो क्या सोचती है उस जनता कि बात नहीं कर रही हूँ जिसे सिर्फ अपना पेट पालना है --वो लोग क्या सोचेंगे उन्हें तो सिर्फ वोट देना है वो तो अपनी गरीबी के आगे लाचार हैं सरकार के खिलाफ आवाज भी नहीं उठा सकते किउकी जो सरकारी मदद मिल रही है उससे भी वंचित हो जायेंगे .यह गरीब जनता जो किसी तरह अपना जीवन यापन कर रही है कोई भी विचार करने कि स्थिति में कहाँ है? क्या सरकार के विरुद्ध खड़े हो सकते हैं यह लोग? नहीं ना . इसी ग़रीब जनता से कांग्रेस को वोट मिलती हैं यह सरकार भी चाहती है कि वो ग़रीब बने रहे ताकि उनका वोट बैंक मजबूत रहे और ग़रीब तो बिचारा मजबूर है ही उसको तो इसी हाल में रहने में फायदा है वरना पेट भरना भी मुश्किल हो जायेगा . नेता जानते हैं कि जनता दो तरीके से गरीब है एक सोचने का मद्दा नहीं है इसलिये दिमाग से गरीब है दूसरे इतना पैसा नहीं है कि आराम से खा पी सकें और सुकून से जीवन बिता सकें यानी पैसे और धन से भी गरीब हैं । फिर क्यों न इस देश के नेता इस कमजोरी का फायदा उठाये