मुझे कुछ कहना है- सचिन को क्यों मिले भारत रत्न?
क्या सचिन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए? एक बहुत बड़ा प्रश्न है कि अगर पॉलिटिकल लीडर्स को भारत रत्न दिया जा सकता है तो सचिन को क्यों नहीं?
आज से पहले जिनको भी भारत रत्न मिला है उन्होंने देश का नाम किया है इसलिए उन्हें यह पुरस्कार मिला। कुछ लोग कहते हैं कि सचिन को भारत रत्न दिया जाना चाहिए, तो कुछ कहते हैं कि सचिन ने पैसा कमाया है, सचिन ने इंडिया के लिए क्या किया है?
वैसे अगर देखा जाए तो लता मंगेशकर को भी भारत रत्न मिला तो क्या उन्होंने पैसा नहीं कमाया! सवाल पैसे कमाने का नहीं है। देश के लिए जिसने भी महान कार्य किया या देश का नाम किया, उसे भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
वैसे तो भारत रत्न की क्राइटेरिया में खेलों का नाम नहीं है फिर भी अगर बात भारत रत्न देने की हो तो सचिन से पहले भी कई नाम हैं जैसे, ध्यानचंद, विश्वनाथन आनंद, अजीतपाल सिंह, पीटी ऊषा, मिल्खा सिंह, लिएंडर पेस, महेश भूपति, कपिल देव, सुनील गावस्कर आदि। यदि हम पहला भारत रत्न सचिन को देते हैं तो उन खिलाड़ियों के साथ क्या अन्याय नहीं होगा, जो सचिन से पहले काफी अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं।
भारत रत्न सचिन को मिले या ना मिले इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता फिर भी कुछ सचाई को हम लोगों के सामने लाना चाहते हैं। अब कोई माने या ना माने यह उसके ऊपर है।
सिर्फ कुछ ही लोग हैं जो टी.वी पर या रेडियो पर क्रिकेट का मजा लेते हैं और वे ही लोग हैं जो चाहते हैं कि सचिन को भारत रत्न मिले। उनके लिए सचिन भगवान हैं।
क्या कभी यह सोचा है किसी ने कि क्रिकेट से समाज में क्या कोई बदलाव आया? क्या क्रिकेट ने किसी किसान को बचाया जो जमीन के कर्ज में डूब कर आत्महत्या कर रहा है? गरीब को दो वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं होती। यहां हम मैच का मजा लेते हैं और वहां एक 6 साल का बच्चा चाय की दुकान पर ग्लास साफ कर रहा होता है, अपना पेट भरने के लिए भीख मांग रहा होता है।
भारत रत्न असाधारण सेवाओं के लिए दिया जाता है। आर्ट, साहित्य और विज्ञान से सम्बंधित कार्यों को बढ़ावा देने के लिए, समाज से सम्बंधित कोई ऊंचा कार्य जिससे समाज को फायदा पहुंचा हो।
अब इसमें सचिन कहां फिट हो रहे हैं बताएं?
आर्ट हमारे हजारों सालों की सभ्यता को पिरोता है। साहित्य समाज का आईना है और विज्ञान तो मानव कल्याण के लिए है ही। क्रिकेट में रेकॉर्ड बनाने से एक गरीब को दो वक़्त की रोटी नहीं मिल सकती।
हमें खेल से बाहर निकल कर देखना चाहिए, काफी लोग हैं जो समाज के लिए काम कर रहे हैं पर उनके पास नाम करने के लिए मीडिया नहीं है, जो उनके भी काम को ब्रेकिंग न्यूज़ बना दे।
इसमें कोई शक नहीं है कि सचिन एक महान शख्सियत हैं उन्होंने क्रिकेट के क्षेत्र में भारत का नाम किया है, भविष्य में जब भी क्रिकेट की बात होगी ,सचिन का नाम हमेशा आएगा। लेकिन जहां तक भारत रत्न की बात है तो हमें भारत रत्न को पहले समझना चाहिए। हमें कूपमंडूक की तरह नहीं सोचना चाहिए।
आज से पहले जिनको भी भारत रत्न मिला है उन्होंने देश का नाम किया है इसलिए उन्हें यह पुरस्कार मिला। कुछ लोग कहते हैं कि सचिन को भारत रत्न दिया जाना चाहिए, तो कुछ कहते हैं कि सचिन ने पैसा कमाया है, सचिन ने इंडिया के लिए क्या किया है?
वैसे अगर देखा जाए तो लता मंगेशकर को भी भारत रत्न मिला तो क्या उन्होंने पैसा नहीं कमाया! सवाल पैसे कमाने का नहीं है। देश के लिए जिसने भी महान कार्य किया या देश का नाम किया, उसे भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
वैसे तो भारत रत्न की क्राइटेरिया में खेलों का नाम नहीं है फिर भी अगर बात भारत रत्न देने की हो तो सचिन से पहले भी कई नाम हैं जैसे, ध्यानचंद, विश्वनाथन आनंद, अजीतपाल सिंह, पीटी ऊषा, मिल्खा सिंह, लिएंडर पेस, महेश भूपति, कपिल देव, सुनील गावस्कर आदि। यदि हम पहला भारत रत्न सचिन को देते हैं तो उन खिलाड़ियों के साथ क्या अन्याय नहीं होगा, जो सचिन से पहले काफी अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं।
भारत रत्न सचिन को मिले या ना मिले इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता फिर भी कुछ सचाई को हम लोगों के सामने लाना चाहते हैं। अब कोई माने या ना माने यह उसके ऊपर है।
सिर्फ कुछ ही लोग हैं जो टी.वी पर या रेडियो पर क्रिकेट का मजा लेते हैं और वे ही लोग हैं जो चाहते हैं कि सचिन को भारत रत्न मिले। उनके लिए सचिन भगवान हैं।
क्या कभी यह सोचा है किसी ने कि क्रिकेट से समाज में क्या कोई बदलाव आया? क्या क्रिकेट ने किसी किसान को बचाया जो जमीन के कर्ज में डूब कर आत्महत्या कर रहा है? गरीब को दो वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं होती। यहां हम मैच का मजा लेते हैं और वहां एक 6 साल का बच्चा चाय की दुकान पर ग्लास साफ कर रहा होता है, अपना पेट भरने के लिए भीख मांग रहा होता है।
भारत रत्न असाधारण सेवाओं के लिए दिया जाता है। आर्ट, साहित्य और विज्ञान से सम्बंधित कार्यों को बढ़ावा देने के लिए, समाज से सम्बंधित कोई ऊंचा कार्य जिससे समाज को फायदा पहुंचा हो।
अब इसमें सचिन कहां फिट हो रहे हैं बताएं?
आर्ट हमारे हजारों सालों की सभ्यता को पिरोता है। साहित्य समाज का आईना है और विज्ञान तो मानव कल्याण के लिए है ही। क्रिकेट में रेकॉर्ड बनाने से एक गरीब को दो वक़्त की रोटी नहीं मिल सकती।
हमें खेल से बाहर निकल कर देखना चाहिए, काफी लोग हैं जो समाज के लिए काम कर रहे हैं पर उनके पास नाम करने के लिए मीडिया नहीं है, जो उनके भी काम को ब्रेकिंग न्यूज़ बना दे।
इसमें कोई शक नहीं है कि सचिन एक महान शख्सियत हैं उन्होंने क्रिकेट के क्षेत्र में भारत का नाम किया है, भविष्य में जब भी क्रिकेट की बात होगी ,सचिन का नाम हमेशा आएगा। लेकिन जहां तक भारत रत्न की बात है तो हमें भारत रत्न को पहले समझना चाहिए। हमें कूपमंडूक की तरह नहीं सोचना चाहिए।
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