मुझे कुछ कहना है- आन्दोलन पर अत्याचार

रामलीला मैदान में निहत्थे लोगों पर पड़ी लाठी, भ्रष्ट सरकार के ताबूत की आखिरी कील साबित हो सकती है। लोगो में सरकार के खिलाफ एकता नज़र आ रही है। बाबा रामदेव का भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन और सरकार की ओर से किया गया इसका दमन बीजेपी बनाम कांग्रेस की लड़ाई बन गई है।

स्वामी रामदेव के आन्दोलन से एक बहुत महत्पूर्ण बात तो सामने आई है कि इससे देश के नागरिक के अंदर चेतना और कर्म शक्ति का निर्माण अवश्य होना चाहिए. बाबा के इस अभियान से प्रत्यक्ष रूप से हम लाभान्वित ना भी हो परन्तु हम इसकी प्रशंसा करेंगें. मूल बात यह है कि जब हम पूरे समाज के हित की बात सोचते हैं तो हमारी न केवल शक्ति बढ़ती है बल्कि स्वयं अपना हित भी होता है।

केवल अपने बारे में ही सोचते रहने से शक्ति और चिंतन दोनों सिमट कर रह जाते हैं. व्यक्ति का रहन- सहन इतना अधिक सीमित हो गया है आज के युग में कि अपने अलावा किसी के बारे में सोचने की शक्ति सिमट कर रह गयी है. ऐसे में योग साधना ही एकमात्र उपाय है जिससे कोई भी मनुष्य अपना सामान्य स्तर पाता है. देश का कोई मामूली योग साधक भी यह जानता है कि बचपन से योग साधना में रत रामकृष्ण यादव अब स्वामी रामदेव बन गया तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है. भौतिक से अधिक उनकी अभौतिक अध्यात्मिक शक्ति है. सिद्धि और चमत्कारों के लिये सर्वशक्तिमान की तरफ हाथ फैलाये रखने वाले लोग इस बात को नहीं समझेंगे कि योग साधना इंसान को कितना शारीरिक तथा मानिसक रूप से शक्तिशाली बनाती है.

बाबा के हम ना शिष्य हैं और ना ही समर्थकों में से हैं पर इतना तो जरूर है कि एक योगी की लीला अद्भुत होती है उनके साथ योग माता की शक्ति होती है. वो खास लोग जो आम जीवन शैली अपनाते हैं उनकी समझ से दूर है. सोच ही इंसान को महान और निकृष्ट दोनों बनाती है. क्या युद्ध उन्हीं के लिए है जो सरहद पर मार दिए जाते हैं? ऐसा युद्ध वतन के लिए कोई भी लड़ सकता है, संकट की घड़ियों में सबको सैनिक बनना पड़ता है.

भ्रष्‍टाचार के विरोध में शुरू हुई रामदेव की लड़ाई अब क्‍या रूप ले चुकी है? क्‍या यह भाजपा बनाम कांग्रेस की राजनीतिक लड़ाई बन गई है? अगर हां, तो ऐसी लड़ाई का अंजाम क्‍या होगा सरकार अब पूरी तरह से बाबा रामदेव के दमन के लिए तैयार है? क्या बाबा रामदेव का आंदोलन गैरकानूनी और असंवैधानिक था? क्‍या सरकार भ्रष्‍टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने से डरती है?

भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन का जायज‌ तरीका अपनाने के बाद भी उन्‍हें रोकने के लिए जो तरीका पुलिस (सरकार) ने अपनाया, उसे देख कर लगता है कि भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई और भ्रष्‍टाचार से निपटने की सरकारी मानसिकता है ही नहीं. भ्रष्‍टाचार पर राजनीति नही होगी तो यह मिटेगा कैसे.

देश में लोकतंत्र कहाँ बचा है? सरकार का आधी रात को सोते हुए बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर किया गया प्रहार बड़ी शर्मनाक घटना है.

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