मुझे कुछ कहना है: अन्ना हजारे क्या करेंगे अब?

आज भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसा माहौल है जैसा सन बयालीस में हुआ करता था. खुशी इस बात की है कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्रीय जनमत तैयार हो रहा है और जनता किसी भी भरोसेमंद सूचना पर भरोसा करने को तैयार है.

वह किसी भी भ्रष्ट नेता, अफसर या पत्रकार को माफ़ करने को तैयार नहीं है. राजनीतिक नेताओं को अभी भनक तक नहीं है. वे अभी इसी मुगालते में हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन का नेतृत्व किसी पार्टी के हाथ आ जाएगा. पूरी संभावना है कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है. अन्ना हजारे के आन्दोलन को जनता ने पूरी तरह नेताओं से मुक्त रखा. आने वाले वक़्त में भी ऐसा ही होने वाला है क्योंकि पूरे देश के जागरुक वर्ग में यह अवधारणा घर कर चुकी है कि सारे भ्रष्टाचार की जड़ राजनीतिक नेता ही हैं.

भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने के लिए अन्ना हजारे शुक्रवार को उत्तर प्रदेश आने वाले हैं। वाराणसी जिला प्रशासन ने उनके कार्यक्रम को अब तक मंजूरी नहीं दी है। उत्तर प्रदेश में धरना, प्रदर्शन, जुलूस और आंदोलन को लेकर राज्य सरकार सख्त हो गयी है, सुल्तानपुर जिला प्रशासन ने भी आगामी शनिवार को यहां होने वाली उनकी जनसभा को अनुमति नहीं दी है। लखनऊ में 1 मई को उनकी झूलेलाल पार्क में होने वाली जनसभा के बारे में अभी तक कोई सूचना नहीं आई है। लेकिन, लखनऊ यूनिवर्सिटी में हजारे के होने वाले कार्यक्रम को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने रैली, जनसभा, धरना और प्रदर्शन के लिए पहले अनुमति लेने की सख्त हिदायत वाला शासनादेश बुधवार को जारी किया था .

अब देखना यह है कि हजारे के कार्यक्रम को अनुमति ना मिलने पर वो कानून को तोड़ेंगे या फिर कानून का साथ देंगे ? प्रश्न उठता है कि अन्ना के साथ जनता का समर्थन है क्या सरकार उन्हें रोक पाएगी ? हालांकि नहीं रुके तो क्या जेल भेजा जायेगा ? या फिर कार्यक्रम आगे बढाया जायेगा ताकि सरकार की अनुमति मिल सके ?

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