मुझे कुछ कहना है- किनके लिए अमृत है भ्रष्टाचार?
भ्रष्टाचार का सब जगह बोलबाला है , सभी जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है , कितने अभियान चलाए जा रहे हैं। आप बताएं भ्रष्टाचार क्या होता है ? क्या आपने किसी भ्रष्ट आदमी को देखा है ? हमने किसी से पूछा कि भ्रष्टाचार आखिर है क्या ? तो उसने कहा- भ्रष्टाचार तो अमृत है जिसे हर देश का हर वासी चखता है। खुद को और अपनी सात पीढ़ियों को हट्टा-कट्टा देखना चाहता है। इस अमृत को जो पिए उसकी सात पुश्तें तर जाती हैं और जो ना पिए वह पछताता है।
भारत में भ्रष्टाचार संस्कृति और शिष्टाचार बन गया है। बच्चा जन्म लेता है, वह भी भ्रष्टाचार की बदौलत। यदि मां-बाप डॉक्टर और नर्स को रिश्वत न दें तो बच्चे की देखभाल ठीक से नहीं की जाती।प्रभावी कानून कहां है ! इसे क्यों नहीं तैयार किया जा रहा है... इस देश को नेताओं ने बर्बाद कर दिया है। ये वही नेता हैं जो जन लोकपाल बिल को पास नहीं होने देना चाहते। इसलिए, बाल की खाल निकाल कर मामले को अटकाना चाहते हैं। इन नेताओं को डर है कि यदि जन लोकपाल बिल पास हो गया तो फिर उन पर शामत आ जाएगी। इसलिए, अभी वक्त है जो बिल तैयार करने में शामिल है उसकी कमजोरी को पकड़ो और फिर मामले में बाधा डालो।
सवाल ये है कि जनता को मतलब है कि बिल में कितने कड़े कानूनों का प्रावधान किया जा रहा है। अन्ना ने कहा कि ड्राफ्टिंग कमिटी की बैठक की विडियोग्रफी की जाए और उसका प्रसारण टीवी चैनलों पर किया जाए। इसमें क्या गलत है? ऐसा लगता है सरकार भी नहीं चाहती कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी कानून इस देश में आए। तभी इस जन लोकपाल बिल को लाने में इतनी अडचनें लगाई जा रही हैं। अब ऐसे में क्या वाकई यही माना जाए कि भ्रष्टाचार अमृत है जिससे नेता लोग खुद से दूर नहीं जाने देना चाहते ?
भारत में भ्रष्टाचार संस्कृति और शिष्टाचार बन गया है। बच्चा जन्म लेता है, वह भी भ्रष्टाचार की बदौलत। यदि मां-बाप डॉक्टर और नर्स को रिश्वत न दें तो बच्चे की देखभाल ठीक से नहीं की जाती।प्रभावी कानून कहां है ! इसे क्यों नहीं तैयार किया जा रहा है... इस देश को नेताओं ने बर्बाद कर दिया है। ये वही नेता हैं जो जन लोकपाल बिल को पास नहीं होने देना चाहते। इसलिए, बाल की खाल निकाल कर मामले को अटकाना चाहते हैं। इन नेताओं को डर है कि यदि जन लोकपाल बिल पास हो गया तो फिर उन पर शामत आ जाएगी। इसलिए, अभी वक्त है जो बिल तैयार करने में शामिल है उसकी कमजोरी को पकड़ो और फिर मामले में बाधा डालो।
सवाल ये है कि जनता को मतलब है कि बिल में कितने कड़े कानूनों का प्रावधान किया जा रहा है। अन्ना ने कहा कि ड्राफ्टिंग कमिटी की बैठक की विडियोग्रफी की जाए और उसका प्रसारण टीवी चैनलों पर किया जाए। इसमें क्या गलत है? ऐसा लगता है सरकार भी नहीं चाहती कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी कानून इस देश में आए। तभी इस जन लोकपाल बिल को लाने में इतनी अडचनें लगाई जा रही हैं। अब ऐसे में क्या वाकई यही माना जाए कि भ्रष्टाचार अमृत है जिससे नेता लोग खुद से दूर नहीं जाने देना चाहते ?
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