कृष्ण का राधा से अटूट प्रेम, है पर उनका विवाह नही हुआ----क्यों



"उनके अलौकिक प्रेम को समझ पाना आसां नही है

दुनिया के रिश्तों से बेगाना यह रिश्ता समझ पाना आसां नही है

एक दुजे के बिना कहे ही दर्द को समझ पाना आसां नही है

उसकी बंसी की धुन पर दुनिया को भुला कर दौड के चले आना

खूब्सूरती और प्यार की अनूठी कहानी को समझ पाना आसां नही है "


जो सत्य, सनातन और सामग्र है , जो निर्माण और निर्वाना है जो आदि और अंत है जो चेतन भी है और अचेतन भी है ]


जो सम्पूर्ण रुप से सामग्र है उसे पद का या स्थान पाने का लालच नही होता] राधा से कृष्ण का प्रेम एक अनिर्वचनीय और शाश्वत सत्य का आधार है , इस कारण कृष्ण और राधा पति -पत्नी तो नही है किन्तु उनकी प्रीत एक नैसर्गिक आस्था और अटूट विश्वास है ऐसा प्रेम--- -ना भूत ना भविष्य ] मीरा भी कृष्ण से प्रेम करती थी परन्तु वह भक्ति रस में डूबी हुइ थी ,राधा प्रेम रस में डूबी हुइ थी ]


राधा तो सिर्फ प्रेम करती थी तथा बदले में कृष्ण से कोई अपेक्षा नही करती थी ] आप जानते है कृष्ण जब वृन्दावन छोड कर गए थे तो उनकी आयु सिर्फ ५ से ८ वर्ष की थी तथा उसके बाद नही लौटे ना ही राधा से विवाह किया परन्तु इसके लिए राधा ने कभी शिकायत नही की , ना ही कभी द्वारिका गई , सारा जीवन वृन्दावन में ही रही और कृष्ण से प्रेम करती रही ]


इनके प्रेम को समझ पाना आसान नही है पर इतना तो समझ में आता है की वह प्रेम पवित्र और सच्चा था जिसकी उँचाई इतनी ज्यादा है की उस तक जाना हर किसी के बस की बात नही iहै,पर उस उँचाई को छूने की कोशिश तो कर सकते है ]


शायद सदियों तक इस रिश्ते को कोई समझ नही पायेगा |

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