बढ्ता हुआ ई एम आई का बोझ


रिजर्व बैक ने दो नवम्बर को दूसरी तिमाही की मौद्रिक समीक्षा में होम लोन से जुड़े नियमों में कई बदलाव किए है। बैक अब फ्लैट की कीमत का महज 80 फीसद तक लोन दे पाएंगे। इसका साफ मतलब है कि अब डाउनपेमेंट ज्यादा देना होगा। इससे पहले रिजर्व बैक ने ऐसी कोई सीमा तय नहीं की थी जिससे कई बैंकों से लोग 85 और 90 फीसद तक लोन हासिल कर लेते थे। अभी तक ग्राहक को घर की कीमत के अलावा रजिस्ट्रेशन शुल्क तक की रकम बैंक से लोन के रूप में मिल जाती थी लेकिन अब रिजर्व बैंक ने होम लोन के लिए नया तरीका लोन टू वैल्यू अनुपात को लागू कर दिया है। होम लोन के मामले में यह अनुपात किसी भी हालत में 80 फीसद से ज्यादा नहीं होगा।

रिजर्व बैक ने जोखिम से जुड़े प्रावधान (प्रोविजनिंग) को भी सख्त कर दिया है। अभी 74 फीसद वाले लोन टू वैल्यू के 30 लाख रु पए तक के होम लोन पर बैंक को बतौर प्रोविजनिंग के 50 फीसद रकम रखनी पड़ती थी। अगर यह लोन 30 लाख रु पए से ज्यादा होता था तो बैक को 75 फीसद प्रोविजनिंग करनी पड़ती थी। अगर लोन टू वैल्यू 74 फीसद से ज्यादा है तो बैंक को प्रोविजनिंग 100 फीसद करनी पड़ती थी। लेकिन रिजर्व बैक ने इसमें बड़ा बदलाव करते हुए साफ कर दिया है कि 75 लाख रुपए से ऊपर के लोन पर बैक को 150 फीसद की प्रोविजनिंग करनी होगी
रिजर्व बैक ने टीजर लोन को भी खत्म करने पर जोर दिया है
केंद्रीय बैक ने दो नवम्बर को ऐलान कर दिया कि वह छोटे समय के लिए बैंकों को देने वाले पैसे पर ब्याज दर बढ़ा रहा है। बैंक को खुद महंगा लोन मिलेगा तो जाहिर तौर पर ग्राहकों को भी महंगा कर्ज मिलेगा। अब अगर बैक होम लोन में आधा फीसद की बढ़ोतरी करते है तो आपकी ईएमआई बढ़ेगी या फिर लोन चुकाने की अविध।
अगर ग्राहक को लगता है कि मौजूदा ईएमआई में इजाफे से उसके घर का बजट बिगड़ जाएगा तो उसे लोन की अवधि बढ़ानी चाहिए। लोन का प्रीपेमेंट प्रीपेमेंट यानी लोन चुकाने की तय तारीख से पहले किया गया भुगतान। इसे एकमुश्त या थोड़ा-थोड़ा करके दिया जा सकता है। ब्याज दरों में उतार- चढ़ाव से निपटने का सबसे आसान और इकलोता रास्ता है प्रीपेमेंट। सबसे पहले महंगे लोन का प्रीपेमेंट करें।
होम लोन लंबे समय का होता है इसलिए बैक ग्राहक से रेट से तो नहीं लेकिन मात्रात्मक लिहाज से ज्यादा ब्याज वसूलते है। जैसे ही आप प्रीपेमेंट के जरिए लोन चुकाते है ब्याज का भार कम होने लगता है। कुछ बैक प्रीपेमेंट पर चार्ज भी लेते हैं। ग्राहक को चाहिए कि लोन के समय वह बैंक से प्रीपेमेंट शर्त जरूर तय कर ले। बैंक अगर कुछ चार्ज लेकर भी प्रीपेमेंट कर रहा है तो ईएमआई में मिलने वाली रियायत की तुलना करके प्रीपेमेंट करना सबसे बेहतर तरीका होता है।


जयति गोयल
( टेक्निकल एन्लिस्ट )

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